यह शीर्षक देखकर शायद आपको बैटमैन के हारवी डेंट की याद आ गई
होगी। जिसमें उसके एक तरफ का चेहरा जल जाता है। इस प्रकार उसके दो चेहरे बन जाते
हैं। लोगों की नजरों में वो कानून सुधारक और आदर्श थे। पर उसके दूसरे भयावह रूप को
बहुत कम लोग ही जान पाये। और अंत में उसके आदर्श चेहरे को लोगों के सामने परोसा
गया।
क्या आपको नहीं लगता
कि हमारा जीवन भी इन्हीं दो चेहरों के इर्द गीर्द घूमती है? एक चेहरा जो बनावटी होता
है, जिसे
लोगों के सामने जानबुझ कर परोसा जाता है, ताकि लोग उनके झांसे में आयें और भरोसा करे, और एक वह चेहरा जो
वास्तविकता बयां करती है जो बहुत कम लोग जानते हैं, जो करीबी होते हैं। हममें से बहुत कोई उस हारवी
डेंट की तरह ही है, जो लोगों के सामने अच्छे होने का दिखावा करता है, बड़ी बड़ी बातें करता है, अपने कामों का डिंडोरा
पीटता है, पर खुद के घर में ही एक बुरा इंसान बने हुए रहता है। आप खुद ही
अपने आस पास ऐसे बहुत से उदाहरण देख सकते हैं जो अपने इस टु फेस वाले किरदार को
बखूबी निभाते हैं। तो आखिरकार हम ये दो चेहरों वाली ज़िंदगी क्यों जीतें हैं? क्या इसमें हमारा स्वार्थ
है या फिर जरूरत? अगर हम इस विषय पर सर्वे करें तो शायद हम पाएंगे कि अधिकांश
लोग अपने स्वार्थ और झूठी लोकप्रियता के लिए बनावटी चेहरे का इस्तेमाल करते हैं।
तो सवाल यह उठता है कि अपने वास्तविक चहरे
के साथ क्या हम घर के अंदर और बाहर नहीं रह सकते? सच तो यह है कि हम खुद के काबिलियत पर विश्वास
नहीं करते है और इसलिए हम खुद को बनावटी बना लेते हैं। हम सोचते हैं कि हमारा
वास्तविक चेहरा हमें कुछ नहीं दिला सकता और यहीं हमारा डर हमें टु फेस बनने पर
मजबूर करता है।
पर जो भी हो हकीकत यहीं है कि हम अपने
वास्तविक रूप में ही अच्छे लगते हैं। आत्मिक शांति और संतुष्टि के लिए हमें जरूरत
है कि हम अपने वास्तविक रूप में ही हमेशा रहें और ये दो चेहरों वाला खेल न खेलें।
जो घर को अशांत छोड़ बाहर की दुनिया में शांति की तलाश करतें है वे शांति की इस खोज
में कभी सफल नहीं हो पाते। तो आइये हम ये दोहरी ज़िंदगी न जीकर, एक सच्चे और अच्छे इंसान बनें और सबसे पहले अपने परिवार को शांति के सूत्र
में बाँधे, और उसी शांति के साथ घर
से बाहर निकलें। सच कहूँ तो आपको दोबारा उस बनावटी चेहरे की जरूरत नहीं पड़ेगी और
आपका जीवन आनंद और प्रेम से भरपूर होगा।
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